हिन्दू धर्म |
लिंगायत धर्म |
1. एक संस्थापक गुरु नहीं है। |
1. बारहवीं सदी के गुरु बसवेश्वरजी लिंगायत धर्म के संस्थापक हैं। |
2. हिन्दु धर्म में नास्तिक, निरिश्वरवादी. सेश्वरवादी है। |
2. यह सेश्वर वादी धर्म है और इसमें सृष्टिकर्ता पर विश्वास रखना अत्यावश्यक है। |
3. वेद, आगम को प्रमाण माना जाता है। |
3. वेद, आगम और पुराणों को प्रमाण नहीं माना जाता। वचन साहित्य को आधार माना जाता है। |
4. चतुर्वर्णो पर विश्वास करता है, |
4. जाति और वर्ण के आधार पर विभजन को नहीं मानता। |
5. द्विजवर्णियों को ही उपनयन का अधिकार है। |
5. सभी मानवों को इष्टलिंग दीक्षा का अधिकार है। |
6. स्त्रियों को उपनयन नहीं है। |
6. पुरूषों की तरह स्त्रियों को भी लिंगदीक्षा है । |
7. कई देवताओं पर श्रद्धा रखी जाती है और बहुदेवतोपासना की जाती है। |
7. सृष्टिकर्ता लिंगदेव पर ही श्रद्धा रखी जाती है और एकदेवोपासना की जाती है। |
8. तीर्थक्षेत्र यात्रा पर श्रद्धा होती है। |
8. तीर्थक्षेत्र यात्रा पर श्रद्धा नहीं होती। |
9. ज्योतिष, वास्तु शास्त्र और मुहूर्तो पर विश्वास रखा जाता है। |
9. ज्योतिष, वास्तु शास्त्र इन सब में विश्वास नहीं रखा जाता। |
10. हिन्दु धर्म के श्रद्धा केन्द्र मंदिर हैं। |
10. लिंगायत धर्म के श्रद्धा केन्द्र अनुभव (वसव) मंटप है। |
11. शाकाहारी और मांसाहारी दोनों होते हैं। |
11. शाकाहार अत्यावश्यक माना गया है। |
12. होम-हवन, यज्ञ-याग, प्राणी बलि आदि सभी हैं । |
12. होम-हवन, यज्ञ-याग, प्राणी बलि इन सब का निषेध किया गया है। |
13. विवाह में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लगाये जाते हैं और पुरोहित जी का होना जरूरी है। |
13. अग्नि साक्षी और सात फेरे नहीं होते। केवल गुरु-लिंग-जंगम को साक्षी माना जाता है। |
14. द्विजों के शवों का अग्नि दाह संस्कार किया जाता है। |
14. लिंगायतों के शवों को जमीन में गाड़ा जाता है। इष्टलिंग को हाथ में रखकर बैठने की स्थिति में दफनाया जाएगा। |
15. भक्त को मंदिरों में भगवान की पूजा करने की अनुमति नहीं है। पुजारी करेंगे पूजा |
15. भक्त द्वारा देव की सीधी पूजा की जाती है । मध्यस्थ की कोई ज़रूरत नहीं है | |