लिंगायत धर्म गुरु बसवण्ण | कूडत्न संगम क्षेत्र में बसब क्रांति के दिन ’शरण मेला’ |
पूज्य श्री महा जगद्गूरु माता महादेवी |
चिन्मूलाद्री की सुपुत्री श्रीमाताजी ने चित्रदुर्ग में 1946 में जन्म लिया । उन्होनें विज्ञान-तत्वज्ञान की स्नात्तकोत्तर उपाधि प्राप्त की । आप 1966 में पूज्य श्री सद्गूरु लिंगानंद स्वामिजी से जंगम दीक्षा लेकर "माता महादेवी" नाम से अभिधानित हुईं । आप 1970 मेँ विश्वविनूतन स्त्री जगद्गूरु पीठारोहण कर भक्ति, ज्ञान, विरक्ति का संगम होकर सुशोभित हो रही हैं।
अपने प्रिय भक्तों से 'माताजी' नाम से पुकारी जाने वाली, अपनी छोटी उप्र में ही उन्नत ज्ञान प्राप्त करके, संसार की जागृति के लिए अपनी ज्ञानसुधा को प्रवचन, ग्रंथ रचनाओं के द्वारा जनता को समर्पण कर रही हैं । श्री माताजी का प्रथम उपन्यास 'हेप्पिट्ट हालु' राज्य साहित्य अकाडेमी से पुरस्कृत हुआ है । महा शिवशरणी अक्कामहादेवी के जीवन पर आधारित 'तरंगिणी' माताजी के कर कमल से रचित अन्य द्वितीय उपन्यास है । आप के द्वारा रचित अन्य कृतियाँ हैं - बसव तत्व दर्शन, हिन्दू कौन है? लिंग धर्म दर्पण।
निर्भय स्थिरता, तत्वनिष्ठा, सत्यप्रियता, समाजोद्धार की अपेक्षा से सम्पन्न माताजी अपनी अमोघ वाणी से लोगों को आकर्षित करके संतोष प्रदान करते हुए उनमें चेतना का संचार कर रही हैं । देवप्रदत्त प्रतिभा, असमान्य पांडिंत्य, दिव्य मवुरवाणी प्रशांत चित्त का संगम बनकर माताजी विश्वधर्म मणिहार को ढोकर स्वदेश-विदेशों में भी भ्रमण करके भारत के आध्यात्मिक कीर्ति का प्रसार कर रही हैं । अब तक आपने लगभग २ सौ ग्रंथों की रचना की है । कन्नड़ भाषा मैं रचित इनके ग्रंथ बहुत ही जनप्रिय होने के कारण सभी ग्रंथ ५ से २ ० तक पुनं: मुद्रित हुए हैं।
लिंगायत धर्म गुरु बसवण्ण | कूडत्न संगम क्षेत्र में बसब क्रांति के दिन ’शरण मेला’ |