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सती-पती मिलकर करनेवाली भक्ति देव पसंद करेंगे

सती पती दोनों समान दृष्टि से
पूजा करने से वही सत्कार्य है।
वही कूडलसंगमदेव से एक
होने की क्रिया है। /378 [1]

उभयदृष्टि एक दृष्टि में जैसे दीखेगी
वैसे ही दंपति एक भाव के होने पर
गुहेश्वर लिंग को हो गये आर्पित, संगनबसवण्णा। /472 [1]

सती-पती मिलकर करनेवाली भक्ति
शिवजी पसंद करेंगे।
पति-पत्नि सम्मत न हो ऐसी भक्ति
अमृत में विष घोलने के समान है रामनाथ। /1771 [1]

[1] Number indicates at the end of each Vachana is from the book "Vachana", ISBN:978-93-81457-03-0, Edited in Kannada by Dr. M. M. Kalaburgi, Hindi translation: Dr. T.G. Prabhashankar 'Premi'. Pub: Basava Samiti Bangalore-2012.

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