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लिंगायत अपना पूजा खुद करना है (खुद मरने तक खुदा नहीं मिलता)

अपना रति-सुख और भोजन
क्या दुसरों से कराया जा सकता है?
इष्टलिंग की आराधना स्वयं करनी जाहिए,
न कि दुसरों से कराई जा सकती है।
दुसरों से नाम मात्र की आराधना होगी,
वे क्या आपको पहचानेंगे? हे कूडलसंगमदेव। /215 [1]

सती का संग और अतिशय भोजन
पृथ्वि के ईश्वर की पूजा
इन्हे समझदार हो तो दूसरों के हाथों से
कराते हैं क्या? रामनाथ। /1772 [1]

[1] Number indicates at the end of each Vachana is from the book "Vachana", ISBN:978-93-81457-03-0, Edited in Kannada by Dr. M. M. Kalaburgi, Hindi translation: Dr. T.G. Prabhashankar 'Premi'. Pub: Basava Samiti Bangalore-2012.

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