विश्व गुरु बसवेश्रर के जीवन में आनेवाले महत्व की घटनाएँ अंग्रेजी इ. में
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महात्मा बसवेश्वर के बारे में उत्कीर्ण लेख संबंधी प्रमाण(अभिलेख प्रमाण)
निम्नलिखित शिलालेख बसवेश्वर के बारे में अभिलेख प्रमाण है।
१) होयसल सोमेश्वर, कन्नानूर के शिलालेख. सन १२५१(1251)- "करस्थळ बसविदेव", यानी बसवेश्वर.
२) होयसल नरसिंह - 3, का हिरियुरु शिलालेख सन १२५९(1259)- "बसवय्या" यानी बसवेश्वर.
३) सन १२६०(1260) का, अर्जुन्वाड शिलालेख - "बासवराज", "सांगन बसव".
४) सन १२६३(1263) का चौडदानपुर का दो शिलालेख - "संगमेश का पुत्र बसवय्या, संगनबसव".
५) सन १२७९(1279) का कल्लेदेवरपुर का शिलालेख -"बासवराज", "सांगन बसवय्या".
६) सन १२८०(1280) का मरडिपुर का शिलालेख - "सांगन बसवय्या".
७) १४ वीं सदी का गुडिहाळ (मुद्देबिहाळ तालुक, बीजापुर जिला, कर्नाटक राज्य.) का शिलालेख - "सांगन बासवराज देवरु.
८) सन १६६०(1660) का आनंदपुर मठ का तांबा अभिलेख - "बसवेश्वर".
९) सन १६८०(1680) का जोडिदासेन गांव का शिलालेख - "बसवराजेंद्र".
१०) सन १७००(1700) का कानकान गांव का दो तांबे का अभिलेख - "बसवेश्वर स्वामुलु, कल्याण का बसवप्पा".
बसवेश्वर नाम प्रस्तावित ऐतिहासिक पहलुओं से संबंधित, अर्जुन्वाड शिलालेख (1260), हिरियुरु शिलालेख(1259), चौडदानपुर का दो शिलालेख बहु मुख्य है। वे हरिहर-पाल्कुरिके सोमनाथ बसवेश्वर बारे मे कविता व बसव पुराण रचना से पहले हि रचना कि गयि है।
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