बाचिकायकद बसवण्णा की पत्नी काळव्वे (1160)

पूर्ण नाम: बाचिकायकद बसवण्णा की पत्नी काळव्वे
वचनांकित : कर्महर काळेश्वर

कायक चूके तो न सहना चाहिए
व्रत चूके तो भी न सहना चाहिए
कर्महर काळेश्वर। /१३२० [1]

बाचिकायकद बसवण्णा की पत्नी काळव्वे (1160) काळव्वे बढ़ई वृत्ति के बसवण्णा की पत्नी हैं। इनका वचनांकित है 'कर्महर काळेश्वर' । इनके दो वचन मिले हैं। वे कायक, व्रत और वाणी के महत्व को उजागर करते हैं। अपनी वृत्ति परिभाषा में यथोचित दृष्टांत देकर अपनी बात हृदयस्पर्शी रूप में प्रकट करते हैं।

छीलते समय निशाना चूके तो
चोट पैर पर लगेगी।
बोलते समय यदि बोली चूकेगी तो
मुँह को दोष लगेगा।
व्रतहीन से यदि मेल मिलाप करोगे
तो नरक का भाजन होगे।
कर्महर काळेश्वर। /१३२१ [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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