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बालसंगण्णा (1160)

पूर्ण नाम: बालसंगण्णा
वचनांकित : ‘कमठेश्वरलिंग'

सुवर्ण का भीतर, बाहर है क्या?
कपूर, चंदन, अगर, इरवन्ति, शावंति फूल,
मोगरा जूहि, आदीर्गन्ति, हरि पत्तियाँ खुशबूदार
पन्ने के रंगवाले फूल, केतकि आदि,
सारे पत्रपुष्पों के भीतर क्या है, बाहर क्या है?
हैं सभी सर्वांग सुंदर हैं सभी सुगंध से परिपूर्ण ।
कमटेश्वर लिंग में, है शरण का अस्तित्व उभयभेद रहीत । /१८५० [1]

बालसंगण्णा (1160) इनके जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। ‘कमठेश्वरलिंग' वचनांकित में रचित इनके 8 वचन मिले हैं। इन वचनों में वचनकार ने जीव, आत्मा, अर्पित, शरण आदि के लक्षणों पर अपने ढंग से विचार विमर्श का सरल सुंदर शैली में निरूपण किया है।

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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