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सगरद बोम्मण्णा (1160)

पूर्ण नाम: सगरद बोम्मण्णा
वचनांकित : सगर बोम्णनोडेय तनुमन संगमेश्वर
कायक (काम): गणाचार प्रवृत्ति के शरण

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आँखों की मैल दूर गई, आपके दर्शन से,
मन की मैल दूर गई, आपके स्मरण के प्रभाव से,
सभी प्रकार भ्रम दूर हुए, आपके अविरत ज्ञान में,
इस तरह, विविध भेदोपभेद सभी,
आपकी करुणा में विलीन हुए,
हे सगर के बोम्मनोडेय, तनमन संगमेश्वर।। / 2094 [1]

बोम्मण्णा गुल्बर्गा जिला सगर गाँव के गणाचार प्रवृत्ति के शरण थे। शिवदेवी इनकी पत्नी थी। ये जैनों के साथ लडकर शिवपारम्य की श्रेष्ठता दिखाते हैं। ‘सगर बोम्णनोडेय तनुमन संगमेश्वर' वचनांकित में रचे इनके 91 वचन मिले हैं। उलटबासी शैली के उन वचनों में तात्विकता को आद्यता दी गयी है।

देह धर्म में रहकर, यदि इन्द्रियों का अनुसरण न करें तो,
देह का साथ ही बेहतर है;
इन्द्रियों के संसर्ग में रहकर, स्पर्श का साथ जाने तो,
इन्द्रियों का साथ ही बेहतर है;
अवगुण में रहकर, नष्ट होकर, अपनी मौत को जाने तो
वह मौत ही बेहतर है;
सगर के बोम्मनोडेय,
तनमन संगमेश्वरलिंग में मिलकर विलीन होने पर। / 2095 [1]

दीवार के पीछे खड़े होकर लड़नेवाले को क्या भय ?
फर्श पर चलते, दृष्टि हीन को क्या भय?
मेरे सुख-दुःख का सामना करते हुए
तू आगे मैं पीछे रहे तो,
मेरे लिए क्या तकलीक?
सेवक का अपमान, मालिक का अपमान होने जैसे
हे सगर के बोम्मनोडेय, तनमन संगमेश्वरलिंग,
जब तुम मेरे साथ हो तो, मुझे क्या डर है? / 2096 [1]

तन के भीतर के तन में मिलनेवाला है यह कौन?
मन के भीतर के स्मरण में स्मरण करनेवाला है यह कौन?
मुँह के अंदर के मुँह से खानेवाला है यह कौन?
नयन के भीतर के नयन से देखनेवाला है यहा कौन?
तू और मैं का भेद करने में क्या है?
बोलो, हे सगर के बोम्मनोडेय तनमन संगमेश्वर? / 2097 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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