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नगेय मारितंदे (1160)

पूर्ण नाम: मारितंदे
वचनांकित : अतुरवैरी मारेश्वर
कायक (काम) हँसाना, ठिठोलिया (humorist,artist)

जाल बिछाकर, धान के दाने फेंककर
गौरेय्या को फँसाते चोर की तरह
वाक्‌अद्वैत सीखकर
संस्कृत को शब्दों की दुकान खोलकर
मत्स्य के मुँह में ग्रास देनेवाले जैसे
वह कैसी बात? मात्र शब्द जाल है
अतुरवैरी मारेश्वर! /१८०६ [1]

मारितंदे का हँसाना (ठिठोलिया humorist,artist) ही कायक था। अत: ये हास्य कलाकार थे। इन्होंने ‘आतुरवैरी मारेश्वर' वचनांकित में 101 वचनरचे हैं। वाक्-चातुर्य, दृष्टांत कथाओं तथा उपमाओं द्वारा श्रोताओं को रंजित करने की कला इन वचनों में दृष्टिगोचर होती है। हास्य के अंतर में अध्यात्म छिपा रखना, सरलता, संक्षिप्तता आदि इन वचनों की विशेषता है।

शास्त्र बनानेवाला वीर होता है क्या?
चित्त के ध्यान से, शास्त्र की दीवार से, कवित्व के लक्षण से
नश्वर-नश्वर कह दुसरों को उपदेश देनेवाले कर्त्ववादि न होकर नहीं,
तत् प्राणलिंगांगयोग स्वयं बनना होगा।
अतुरवैरी मारेश्वर । / १८०८[1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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