सत्तिगे कायकद मारय्या (1160)
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पूर्ण नाम: |
सत्तिगे कायकद मारय्या
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वचनांकित : |
ऐघटेश्वर
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कायक (काम): |
मशाल पकड़ना, छाता पकड़ने वाला,
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उदय में उत्पत्ति होकर, मध्याह्न में स्थिति पाकर,
अस्तमान में लय होनेवाले शरीर को ढोकर,
फिर निश्चित होकर,कष्ट को दूर करने का मार्ग दिखाओ!
दिन में, भूख-प्यास, रात में, विषय वासना व्यसन का व्यापार!
ऐसे शरीर में प्रवेश कर तुमने,
पाँचों में फंस गये, ऐघटेश्वरलिंगदेव! / 2099 [1]
सत्तिगे अर्थात् छाता पकड़ने के कायक के साथ पेड़ काटने का और मशाल पकड़ने का कायक भी करते थे मारय्या | उनके वचनों में ही इसके लिए आधार मिलता है। ‘ऐघटेश्वर' वचनांकित में रचे 10 वचन मिले हैं। उनमें इनकी कायक निष्ठा, कायक चूकनेवालों पर आलोचना आदि प्रमुख रूप में निरूपित है।
कायक का नाम लेते हुए,
चोर के जैसे, पत्नी व संतान के लिए,
टोकरी व घडे में भर भरकर,
उधार और लेन देन में देते हो तो,
वह गुरु लिंग जंगम का धन नहीं है।
उसे शिवभक्त मानकर,
उसके घर में उसके साथ भोजन करे तो,
मांस को कुत्ता खाकर, बचे हुए को सियार ने खाया जैसे,
ऐघटेश्वरलिंग इसका साक्षी है! / 2100 [1]
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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