पूर्ण नाम: |
दुग्गळे
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वचनांकित : |
दासय्यप्रिय रामनाथ
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कायक (काम): |
कपड़े बुनने का कायक (Spinning, clothes knitting)
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भक्त हो तो बसवण्णा के समान होना चाहिए।
जंगम हो तो प्रभुदेव के समान होना चाहिए
योगी हो तो सिद्धराम के समान होना चाहिए
लिंग भोगी हो तो चेन्नबसवण्णा के समान होना चाहिए
लिंग में ऐक्य होना हो तो अजगण्णा के समान होना चाहिए
इन लोगों की करुणा का प्रसाद पाकर ।
मृतवत् चुप रहना चाहिए, तत्वों से मेरा क्या संबंध
दासय्यप्रिय रामनाथ? / 1314
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दुग्गळे जेडर दासिमय्या की पत्नी थीं। मुदनूर इनका जन्मस्थान था। कपड़ा बुनना इनका कायक था। पुराणों में दासिमय्या के साथ इनकी कथा प्रसिद्ध है। इनके दो वचन मिले हैं। इनका वचनांकित है 'दासय्यप्रिय रामनाथ'। उन वचनों में इन्होंने बसव, अल्लम, चेन्नबसव, मरुळ शंकरदेव, सिद्धराम, अजगण्णा आदि का स्मरण किया है। अतः लगता है कि ये बसवण्णा की समकालीन शरणी रही होगी।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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