पूर्ण नाम: |
कन्नद मारितंदे (1160)
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वचनांकित : |
मारनवैरि मारेश्वरा
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कायक (काम): |
चोर वृत्तिवाले थे शरण बाद में (Initially he was a thief turned into Sharana/Bhakta)
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अंधेरे में सेंध लगाने पर
मेरे हाथ तलवार देनेवाले की हानि
सोते घर में घुसने पर
मेरे चौर्यत्व की प्रसिद्धि की हानि
सोते को जगाकर उन्हें उनके गहने दिखाकर
मेरे हिस्से के गहने लाया, मारवैरी मारेश्वर। / 1617 [1]
मूलतः चोर वृत्तिवाले थे शरण बाद में । शरण होकर बदलकर सात्विक जीवन बिताते हैं। इनके चार वचन प्राप्त हैं। ‘मारनवैरि मारेश्वरा' इनका वचनांकित है। इन्होंने अपनी चोरवृत्ति की परिभाषा का उपयोग कर अध्यात्म समझाते हैं।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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