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(हेंडद) मद्यसार मारय्या (1160)

पूर्ण नाम: (हेंडद) मद्यसार मारय्या
वचनांकित : धर्मेश्वरलिंग
कायक (काम): शराब बेचने का कायक

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मिट्टी रूपी घट के मध्य में
सुवर्ण रूपी मदिरा ने जन्म लिया,
स्त्री रूपी कटोरी में इसे पीने पर,
नशा, चढ़ गया।
इस उन्मत्तता में डूबे हुए सभी,
ज्ञानी बुजुर्ग कैसे हो सकते हैं?
भक्ति-विरक्ति सब इधर ही रह गये,
धर्मेश्वरलिंग की ओर नहीं पहुँच पाए। / 2213 [1]

मारय्या शरण बनने से पूर्व शराब बेचने का कायक करते थे। ‘धर्मेश्वरलिंग' वचनांकित के इनके 12 वचन प्राप्त हुए हैं। सभी वचनों में वृति परिभाषा का उपयोग कर अनुभाव को अभिव्यक्ति दी गयी है। नुलिय चंदय्या के प्रसंग का निरूपण करनेवाला एक प्रसिद्ध वचन नाटकीय गुण से युक्त होकर विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है।

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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