एच्चरिके कायकद मुक्तिनाथय्या (११६०)
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पूर्ण नाम: |
मुक्तिनाथय्या |
वचनांकित : |
शुद्ध सिद्ध प्रसिद्ध प्रसन्न कुरंगेश्वर लिंग |
कायक (व्यवसाय): |
सभी में जागृत करने के कायक (पहरेदार) (Guard) |
अंग विकार बस करो, उठो
बहुरूपि प्रकृति को भूलो, उठो
अपनी भक्ति-मुक्ति के लिंग संग को याद करो, उठो
आपके गुरु कि अज्ञा को
अपने विराग ज्ञान विवेक को समझो उठो
घोषणा करुँगा, क्षणमात्र में क्या होगा बता न सकता?
शुद्धसिद्धप्रसिद्ध प्रसन्न कुरंगेश्वर लिंग से मिलना है तो, उठो। / १५९६ (1596) [1]
एच्चरिके कायकद मुक्तिनाथय्या (११६०) ये मुत्तण्णा नाम से भी प्रसिद्ध हैं। रात में पहरा देना इनका कायक था। इनका वचनांकित है ’शुद्ध सिद्ध प्रसिद्ध प्रसन्न कुरंगेश्वर लिंग’। इनके ११ वचन मिले। सभी में जागृत करने के कायक परिभाषा के अंतर्गत आध्यात्म बोध मिलता है।
चार पहरों में से एक पहर
भूक, प्यास आदि विषयों में बीता था
और एक पहर
निद्रा, स्वप्न, चिंता आदी नाना अवस्थाओं बिता था
एक और पहर
स्त्री के स्तन, आधार चुंबन
आदि बहुविध अंग विकारों में नष्ट हुआ था
और एक पहर बचा है:
आपके आगमन का मार्ग समझकर
आगे आनेवाले लाभ-हानी को समझकर
नित्य व्रत के विस्तार पर
आपका शिवार्चन, पूजा प्रणवस्वरूपी प्रमथ समूह
भाव की प्रौढ़्ता विरक्त, सद्भक्ति की मुक्ति
ऐसे कार्यों में चूकिये मत
अरुणोदय के पहले
खग विहग आदि पशु मृग, नर कुल की ध्वनि निकलने से पूर्व ही
शुद्धसिद्धप्रसिद्ध प्रसन्न
कुरंगेश्वर लिंग से मिल जाना है तो ध्यानारूढ़ रहिए। / १५९७ (1597) [1]
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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