पूर्ण नाम: |
नागलांबिका |
वचनांकित : |
बसवण्णप्रिय चेन्नसंगय्या |
मन के मालिक महादेव, की परीक्षा करने हेतु
मनुजों के मुँह से मनमाने बुलावयोगा
इसके लिए दु:खी न हो मन, अधीर न हो तन
अपने को मत भूलो, निश्चिंत रहो मन
बसवण्णप्रिय चॆन्नसंगय्या
पहाड़-सा अपराध एक ही अंगुली से मिटा देगा। / १३१५ [1]
‘अक्कनागम्मा', ‘नागम्मा' नाम से प्रसिद्ध यह शरणी बसवेश्वर की दीदी हैं। मादरस और मादलांबिका की पुत्री इंगळेश्वर बागेवाड़ी में जन्मी थीं। शिवदेव इनके पति थे। चेन्नबसवण्णा इनके पुत्र थे। बसवण्णा के जीवन को उज्ज्वल बनाने में इनका पात्र प्रमुख है। कल्याण का "महामने" (बसवण्णा का घर) और अनुभव मण्डप में अनन्य कार्यक्षमता दिखाती हैं। कल्याण क्रांति के संदर्भ में शरण समूह का नेतृत्व करती हैं और उळवी आती हैं। चेन्नबसवण्णा के ऐक्य (लिंगैक्य) होने के बाद चिक्कमगलूर जिला एण्णेहोळे तट पर तरीकेरे में ऐक्य (लिंगैक्य) होती हैं।
इनका वचनांकित है ‘बसवण्णप्रिय चेन्नसंगय्या'। अबतक केवल १५ वचन मिले हैं। उनमें बसवण्णा की स्तुतिपरक वचन ही अधिक हैं। अलावा इसके अन्य शरणों के बारे में भी हैं। उनके जीवन पर जो आपत्ति आयीं, उनका किस तरह धैर्य से सामना किया इसका वर्णन उनके वचनों में प्रतिध्वनित है।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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