निर्धनप्रिय रामेश्वर (लगभग 1650ईमें)
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पूर्ण नाम: |
निर्धनप्रिय रामेश्वर |
हे देव, भिक्षा कह,
वहाँ जाकर भिक्षा माँगे तो,
कोई कुछ भी न दे - ऐसा करो,
तथापि दे दे तो,
देने का वह थाल, ठोकर खाने से, टूट जाय - ऐसा करो,
हे निर्धनप्रिय रामेश्वर ! (2232) [1]
इस वचनांकित में उपलब्ध एक ही वचनमें तीव्र वैराग्य का निरूपण हुआ है और वह महादेवीयक्का के वचन की याद दिलाता है।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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