पूर्ण नाम: |
हाविनाळ कल्लय्या
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वचनांकित : |
महालिंग कल्लेश्वर
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कायक (काम): |
सुनार (Goldsmith)
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उन-उन दिनों का संसार,
उन-उन दिनों में ही व्यय करता है।
कब, मैं आपका स्मरण करूं हे देव!
कब, मैं आपकी पूजा करूं?
समचित्त से, आपका स्मरण कर सकें तो
कल से, आज ही बेहतर है, हे महालिंग कल्लेश्वदेव! / 2182 [1]
कल्लय्या सुनार घराने के हैं। इनका जन्मस्थान हाविनाळ है जो बिजापुर जिले में है। कल्लिनाथ इनका आराध्यदैव है। पिता का नाम शिवय्या है और माँ का नाम सोमववे है। हरिहर कृत रगले में इनके मरे साँप को जिलाने, कुते से वेद पढ़वाना, परकाय प्रवेश करना आदि दैवी चमत्कारपूर्ण घटनाएँ उल्लिखित हैं। रेवणसिद्ध, रुद्रमुनि और सिद्धराम के संपर्क से ये शरण बने। कल्याण आकर अनुभाव गोष्ठी में भाग लेते थे। कल्याण क्रांति के बाद सोन्नलिगे (सोलापुर) जाकर वहीं पर ऐक्य हुए। इनकी समाधि सिद्धरामेश्वर मंदिर के प्रांगण में है। ‘महालिंग कल्लेश्वर' वचनांकित में रचे इनके 103 वचन मिले हैं और उनमें भक्तिनिष्ठा, शरण तत्व विवेचना, परमत खण्डन, नीतिबोध, आत्म-निरीक्षण, शरणस्तुति आदि प्रतिपादित हैं।
कोई व्रत-नियम नहीं करेगा, कोई कर्म नहीं अपनायेगा,
कोई शील नहीं करेगा, कोई तप नहीं करेगा,
किसी झंझट में नहीं पड़ेगा, केवलात्मक है।
आकार निराकार होना सहज है न!
महालिंग कल्लेश्वर, आपके शरण का। / 2187 [1]
कोयल रखता नहीं क्या अंडा, कौओं के अंडों के बीच में ?
न पालता है क्या अपने बच्चे को, मन बुद्धि से ?
रखने पर क्या हे देव, पिंड को लाकर
मानवयोनि में पैदा होने पर भी, क्या?
लिंगशरण नर योनि में पैदा हुआ होता है क्या? नहीं।
पक्षी के पेट से, अश्वत्थ वृक्ष पैदा नहीं होता है क्या?
इसप्रकार, हे महालिंग कल्लेश्वर, कोयल क्या कौए का शिशु है? / 2188 [1]
प्रेम से अपना बना लेना चाहिए; प्रेम बिना कुछ नहीं।
टहनी पर टहनी मत कूदना अरे, मूर्ख!
उपेक्षा कर देखेगा, छूकर देखेगा,
मारकर देखेगा, दबाकर देखेगा,
दूर करने पर भी, मारने पर भी, यदि, निष्ठा नहीं छोड़ेगा तो,
अपने आपको ही दे देगा, महालिंग कल्लेश्वर! / 2192[1]
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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