पूर्ण नाम: |
वचनभंडारी शांतरस
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वचनांकित : |
अलेख बना शून्य, शिला बना कैसे बताओ
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कायक (काम): |
वचनों के भण्डार की देखबाल () |
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मल को धो सकते हैं, परंतु,
अमल को कैसे धो सकते हैं?
बड़ी-बड़ी बातें कर सकते हैं, परंतु,
अजात को कैसे जान सकते हैं,
काम कर सकते हैं, परंतु ।
काम का रहस्य कैसे जान सकते हैं?
रणभूमि में प्रतिज्ञा कर सकते हैं, परंतु
युद्ध कैसे कर सकते हैं?
बातें बनानेवाले सब,
उमाकांत को क्या जाने?
इन बातों से घबराकर
अलेख बना शून्य, शिला बना कैसे बताओ। / 2026
[1]
शांतरस शरणों के रचे वचनों के भण्डार की देखबाल करते थे। वचनों को लिख लेना, संग्रह करना, संरक्षण करना आदि कार्य उनको करना था। ब्राह्मण मूल के थे। बसवण्णा के प्रभाव से शरण बने थे। इसके समर्थन में इनके कुछ वचन मिलते हैं। ‘अलेखनाद शून्य कल्लिनोळगाद' वचनांकित में रचे 64 वचन मिले हैं। अपने वचनों में अपने ब्राह्मण्य को त्यागने के बारे में, कल्याण क्रांति के बाद की स्थिति पर और वचन भण्डार के नष्ट होने की व्याकुलता के बारे में निरूपित किया है। षट्स्थल का भी निरूपण उतनी ही निष्ठा से किया है। इनके अधिकतर वचन उलटबासी की भाषा में हैं।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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