पूर्ण नाम: |
एलेगार कामण्णा |
वचनांकित : |
आतुरेश्वर लिंग |
कायक (व्यवसाय): |
पान बेचने का कायक |
पान के पत्तों को छ: महिने चाहिए
व्रतभ्रष्ट होने में क्षणमात्र,
भ्रष्ट कहकर उससे कोई मिलते नहीं।
पान का पत्ता पुराना होने पर भी शिवार्पित।
व्रतभ्रष्ट होने पर उसी क्षण मृत्य होगी,
अतुरेश्वर लिंग। / १५९८ (1597) [1]
एलेगार कामण्णा (१४००) पान बेचने का कायक करनेवाले कामण्णा का ’आतुरेश्वर लिंग’ अंकित से लिखा एक वचन प्राप्त हुआ है। वृत्ति परिभाषा से युक्त इस वचन में व्रतनिष्टा पर बल दिया गया है।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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