पूर्ण नाम: |
मनुमुनि गुम्मटदेव
|
वचनांकित : |
गुडिय गुम्मट नोडेय अगम्मेश्वर लिंग
|
*
अमृत की पूँट भूलकर
माँड़ को ढूंढने जैसे
ईश्वर के स्वयं में रहते हुए।
कुजातियों के पीछे जाने वालों को
गुडियोडेय गुम्मटनाथ के अगम्येश्वर लिंग
उन्हें नहीं, कहूँगा। / 1920
[1]
ये जैन धर्मी थे, बाद में इन्होंने शरण धर्म स्वीकार किया है। इनके ‘गुडिय गुम्मट नोडेय अगम्मेश्वर लिंग' वचनांकित से 99 वचन उपलब्ध हैं। इनको सभी पुरातन शरणों के वचन संग्रहों में आत्मप्रज्ञा भावस्थल, आत्मऐक्यस्थल, पिंडज्ञान संबंध आदि स्थलों के अंतर्गत रखा गया है। षट्स्थल तत्व, देवोपासना, परमत दूषण, जीवदयाभाव आदि इनमें निरूपित हैं। उलटबासियों में होने पर भी कुछ वचन सुंदर हैं।
उत्पत्ति गुरु में, स्थिति लिंग में, लय जंगम में
तीनों का ज्ञान पाकर, इनसे परे वस्तु में घन ऐक्य होना,
ऐसा कहा गया है, कि काया के आंतर्य का ज्ञान पाकर ऐक्य हो आओ
गुम्मटनोडेय अगम्येश्वर लिंग में। / 1921 [1]
काय सूतक मिटने के बाद जीव का भव नष्ट होकर
ज्ञान गुरु के दिये भाव लिंग के होने से और क्या देखना है?
विवाहिता स्त्री के पास दूसरे का आना अच्छा है क्या?
वैसी स्थिति आप की है।
लिंग के होते हुए जीवियों के अंग देखकर
जीने की बात इन निर्लज्य लोगों को क्यों ?
गुडिय गुम्मटनाथ में अगम्येश्वर लिंग
उन्हें जानने के कारण उन्हें नहीं चाहता। / 1922[1]
मारनेवाले को जीव के प्रति दया नहीं।
परस्त्रीगामी को परमेश्वर में प्रीति नहीं,
दूसरों को आग्रहपूर्वक माँगने वाले को धन की प्रीति नहीं,
प्राण त्याग करनेवाले को पित्रार्जित जायदाद के प्रति मात्सर्य नहीं।
पापहर ईश्वर के शरण में होकर
लोकोपदेशक होना ही नहीं, आचरण शुद्ध भी होना चाहिए।
वह है पापहर मूर्ति
वह स्वयं गुड़िय गुम्मटनोडेय अगम्येश्वर लिंग है। / 1923 [1]
हिमशिला पिघले बिना फटता है क्या?
सोने का रंग आग की ज्वाला से डरेगा क्या?
कालाधीन की टंकसाल में विशाल संपत्तिवाले को इच्छा रहेगी क्या ?
इन्हें न जानते हुए बालिश की बातें क्यों
गुडिया गुम्मट के स्वामी अगम्येश्वर लिंग? / 1924[1]
मार्ग दिखाने वाले सब
मार्ग भय को निर्भय कर सकते हैं क्या?
वेद शास्त्र पुराण आगमों को कहने वाले सब
निजतत्व को जान सकते हैं क्या ?
कायर का शृंगार, सूर्य ताप का काठिन्य।
ज्ञानहीन का संग, ऐसे लोगों के व्यर्थ अशाश्वत को जानो।
गुड़िया गुम्मटनाथ के स्वामी अगम्येश्वर लिंग में
पूर्णरूप में ऐक्य हो जाओ। / 1925 [1]
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
*