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आयदक्कि मारय्या (११६०)

पूर्ण नाम: आयदक्कि मारय्या
वचनांकित : अमरेश्वर लिंग
कायक (व्यवसाय): पडें चावल बीनने का कायक

कायक में मग्न हो तो
गुरुदर्शन को भी भुलना चाहिए।
लिंग पूजा को भी भूलना चाहिए।
जंगम सामने होने पर भी उसके दाक्षिण्य में न पड़ना चाहिए।
कायक ही कैलास होने के कारण
अमरेश्वरलिंग को भी कायक करना है।/ १५२० (1520) [1]

नेमव्रत करने, भक्तों के घर जाकर
कायक भूलकर, धन, सोना माँगना
सद्‌भक्त के लिए कष्ट नहीं है क्या?
वह गुण अमरेश्वरलिंग से दूर है ।/ १५२४ (1524) [1]

आयदक्कि मारय्या (११६०) मारय्या रायपूर जिला लिंगसूर तालूक के अमरेश्वर के थे। मारय्या की पत्नी का नाम लक्कम्मा है। अमरेश्वर इनका अधिदैवता है। मारय्या कल्याण नगर आकर रास्ते में पडें चावल बीनने का कायक करते थे। कायक- दासोह निष्ट शरणों में मारय्या अग्रमान्य हैं। इनके जीवन का सिद्धांत ही ’कायक ही कैलास’ है। इन्होने ’अमरेश्वर लिंग’ अंकित से वचनों की रचना की है। अब तक मारय्या के ३२ वचन प्राप्त हुए हैं, जिनमें कायक तत्व-विचार ही प्रधान रूप में विवेचित हैं।

भक्तों के लिये गरीबी कैसी?
सत्यवानों के लिये कर्म कैसा?
मन:पूर्वक सेवा करने वाले भक्त को
मर्त्य क्या, कैलास क्या?
वह जहाँ रहता है वहीं पुण्यक्षेत्र है
उसका अंग ही अमरेश्वलिंग का संग-सुख है। /1526 [1]

कम पैसों में काम करके अधिक धन माँगना
सत्य का कायक कहाँ?
भक्त को कायक के लिए कम पैसा लेना चाहिए
यही अमरेश्वरलिंग में चित्त शुद्ध का कायक है। / १५२७ (1528) [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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