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दशगण सिंगिदेवय्या (1160)

पूर्ण नाम: दशगण सिंगिदेवय्या
वचनांकित : नाचय्यप्रिय मल्लिनाथय्या

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पत्नी पुत्र माता पिता के नाम पर पाऊँ तो आपकी कसम
मानव की सेवा करुँ तो आपकी सौगंध।
आपको छोड़ अन्य दैव के आगे झुकने पर आपकी सौगंध।
अपनी पत्नी के सिवा अन्य किसी की पत्नी को
चाहने पर आपकी सौगंध।
तन-मन-धन से धोखा दुँ तो
नाचण्यप्रिय मल्लिनाथ, हे पिता आपकी सौगंध है। / 1793 [1]

1160 में रहे 'दशगण' में एक थे। इनके चार वचन मिले हैं। इनका वचनांकित है 'नाचय्यप्रिय मल्लिनाथय्या' | बसवेश्वर के वचनों से प्रभावित इनके वचनों में इष्टलिंग निष्ठा प्रखर है।

यह मेरी पत्नी है,
ये मेरे बच्चे हैं, ये मेरे सेवक हैं, ये मेरे दुश्मन हैं आदि
कहने की गलती की है।
जाग्रत, स्वप्न, सुषुम्नावस्था में
कहने की गलती मेरी है।
नाचय्यप्रिय मल्लिनाथय्या
जिनमें तुम हो ऐसे लोगों को
तुम न कहने की गलती मैंने की है। / 1794 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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