(डक्केय) ढक्का बोम्मण्णा (1130)
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पूर्ण नाम: |
डक्केय बोम्मण्णा
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वचनांकित : |
कालांतक भीमेश्वर लिंग
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कायक (काम): |
लोक कलाकार
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हाथ में तलवार लेकर लड़ते समय
लड़नेवाला तलवार है या हाथ या मन?
अंग लिंग सम्बन्ध में होते समय
संबंध अंग का, लिंग का या आत्मा का?
इन तीनों को समझने पर
कालांतक भीमेश्वर लिंग को समझेंगे। / 1780 [1]
आप डक्केय (ढक्का) मारय्या भी कहलाते हैं। ये लोक कलाकार थे। शरण बनने से पूर्व में मारी-देवता को सिर पर ढोकर ढ़क्का बजाते हुए भीख माँगने का कायक करते थे। वीरशैवामृत पुराण में बताया जाता है कि इन्होंने शंकर दासिमय्या का गर्व-भंग किया था। ’कालांतक भीमेश्वर लिंग' अंकित में रचे 90 वचन प्राप्त हुए हैं। उनमें इन्होंने अपनी कला की वेष-भूषा और परिभाषा का आध्यात्मिक संकेतों में उपयोग किया है। इन्होंने अपने व्यक्तित्व को रूपित करनेवाले बसवादि शरणों को याद किया है।
श्रेष्ठ वस्तु को सुरक्षित करने हेतु
एक आश्रय जरूरी है।
मन को महा घन का आसरा पाने
उसका परिचय पाकर विश्वास करने
चिङ्घन लिंग रूपी वस्तु चाहिए।
इससे परे दूसरे ज्ञान की जरूरत नहीं
वह वस्तु ही ज्ञान का आश्रय है इस कारण
कालांतक भीमेश्वर लिंग साकार बना था। / 1783 [1]
शिला भाव मिटकर लिंग संकेत बना था
शिल्पी के हाथ।
पाषाण भाव मिटकर मूर्ति बनी थी।
आचार्य के हाथ में।
वह मूर्ति, पूजा करनेवाले के चित्त में स्थिर हुई थी।
वह चित्त परवस्तु में विलीन होकर
कालांतक भीमेश्वर लिंग बना था। / 1784 [1]
पत्नी का गुण पतिको परखना है, मगर
पति के गुण को पत्नी कैसे परखेगी ? कहते हैं लोग।
पत्नी से लगा दोष पति के लिए हानिकारक होती है।
पति से लगा दोष पत्नी को क्या हानिकारक नहीं?
एक अंग की दोनों आँखों में, एक के सूखने से हानि हो तो
हानि किसको यह समझने पर
कालांतक भीमेश्वर लिंग को अच्छा लगा था। / 1785 [1]
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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