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डोहर कक्कय्या (1130)

पूर्ण नाम: डोहर कक्कय्या
वचनांकित : अभिनव मल्लिकार्जुन

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मेरे निम्न कुल का सूतक
आपके स्पर्श से दूर हुआ।
शुक्ल शोणित से बना सूतक
आपके स्पर्श मात्र से दूर हुआ।
स्पर्श और शुक्ल शोणित का सारा सुख
लिंग के लिए अर्पित करने से
मेरे पंचेन्द्रिय नष्ट हो गये।
मेरे अंतरंग में ज्ञानज्योति के आगमन से
अंतरंग में भी शून्य का आनंद प्राप्त हुआ।
संसार संग की अवस्था को पार करने की क्रिया में
लीन होने के कारण, बहिरंग मुक्त हुआ।
अभिनव मल्लिकार्जुन
आपके स्पर्श से मैं भी शून्य हो गया। / 1786 [1]

या बसवादि शरणों के विशेष सम्मान के लिए पात्र बने दलित शरण थे। डोहार (कहार) जाति के थे। माळव देश से कल्याण आकर शरण बने। कल्याण क्रांति के संदर्भ में चेन्नबसवण्णा के साथ उळवि की ओर प्रस्थान करते हैं और कक्केरी में लिंगैक्य होते हैं। वहाँ इनके नाम पर तालाब, कुआ और समाधि भी हैं। 'अभिनव मल्लिकार्जुन' वचनांकित में रचित इनके 6 वचन मिले हैं। उनमें उन्होंने बताया है कि बसवादि शरणों की कृपा से कैसे अपने निम्न जाति के होने के कर्म खोकर शरण बने । उनका यह कहना कि लिंग के स्पर्श से मेरा सर्वांग का अवलोह का गुण मिट गया, बारहवीं शती के सामाजिक क्रांति के स्वरूप को दर्शाता है।

मुझे निम्न कुल में जन्म दिया
तुमने हे, लिंग पिता।
मिट गया मैं, आपका स्पर्श कर, न स्पर्श किया समझ
परंतु मेरा हाथ स्पर्श नहीं करता तो क्या ?
मनने तो स्पर्श किया, अभिनव मल्लिकार्जुन। / 1787 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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