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एकांत रामितंदे (1160)

पूर्ण नाम: एकांत रामितंदे
वचनांकित : एन्नय्य चेन्नराम

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अशन, विषयवासना सभी विषयों में झूठा होकर
चुगलीखोरी में थककर
इस प्रकार सेवा करवाना सदगुरु को योग्य नहीं
तेल-जल के भेद की तरह
मणि के भीतर के धागे की तरह।
अपने अंग का केंचुल निकालकर खड़े सांप की तरह
गुरुस्थल सम्बन्ध होता है।
मेरे पिता चेन्नरामेश्वर लिंग को समझ सके तो। / 1599 [1]

'हरिहर के रगळे' कृति में और अब्बलूर शिलाशासन में इनका उल्लेख मिलता है। ये गुलबर्गा के आळंद गाँव के हैं। पिता का नाम पुरुषोत्तम और माँ सीतम्मा है। पुलिगेरे सोमेश्वर के सपने में आकर कहने पर यह पर-समर्थियों (अन्य धर्मी) पर विजय पाने अब्बलूर आते हैं। जैनों के साथ शास्त्रार्थ चलता है। वहाँ के ब्रह्मेश्वर मंदिर में शिर का दैवी चमत्कार करके बसदि में सोमेश्वर मूर्ति की स्थापना करते हैं। इस प्रसंग का अब्बलूर शिला शासन में वर्णन हुआ है। इसके विविध शिल्पों की रचना सोमेश्वर मंदिर के दीवारों में चित्रित है।

इनके सात वचन प्राप्त हैं। वचनांकित है 'एन्नय्य चेन्नराम' । गुरु-स्थल संबंध, काय-जीव भेद नित्यमुक्त की स्थिति, मनहीन विरक्त की विडंबना इन वचनों में उभर आयी है।

काया अनेक
उनकी आत्मा को एक कहना कैसी बात है?
आग से बनी रोशनी जला पाएगी क्या आग के बिना ?
एक-एक घट में अपने-अपने पथ पर भुगतते हुए
वह दूसरे में मिलन सुख पाता है क्या?
यह गुण मेरे गुरु चेन्नराम का ज्ञान पाने से मिलेगा। / 1600 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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