गुंडय्या की पत्नी केतलादेवी (1160)
|
|
पूर्ण नाम: |
गुंडय्या की पत्नी केतलादेवी
|
वचनांकित : |
कुंभेश्वर
|
कायक (काम): |
कुम्हार
|
*
गंडय्या की पत्नी केतलदेवी के वचन
मिट्टी पक्व न हो तो गगरी न बनेगी
व्रतहीन का संग न करना चाहिए।
यदि व्रतहीन का संग करें तो नरक से चूक नहीं।
यह सब जानती हूँ, इसलिए व्रतहीन का संग न चाहती
हे कुंभेश्वर।। / 1310 [1]
केतलादेवी कुम्हार गुंडय्या की पत्नी हैं। इनका जन्मस्थान बीदर जिला भाल्की (भल्लांक) है। घड़ा बनना इनका कायक था। इनके दो वचन मिले हैं। 'कुंभेश्वर' अंकित से रचित वचनों में व्रताचार वृत्ति परिभाषा में सुंदर ढंग से निरूपित है।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
*