कन्नडि कायकद रेवम्म (1160)
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पूर्ण नाम: |
रेवम्म, रेमम्मा, रेम्मव्वे
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वचनांकित : |
सद्गुरु संग निरंगलिंग
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कायक (काम): |
नाई (हजाम) (Barber)
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जब हाथ में दर्पण है, अपने आपको देखते क्यों नहीं ?
लिंग जंगम के प्रसाद का अनादर करनेवाले दंड़ित क्यों नहीं?
‘दंड़ देंगे तो मुक्ति नहीं मिलती' ऐसा कहनेवाले के मुँह में
प्रतिहारी की पादरक्षा पूँसती हूँ।
हे, भवी लोग, पहेली का उत्तर दीजिए।
यदि पहेली न बुझा सकते तो मरे कुत्ते की पूँछ सिकुडने के समान
तुम लोग अपनी जीभ सिकोड़ लीजिए,
सद्गुरु संग निरंगलिंग में। / 1304 [1]
रेमम्मा, रेम्मव्वे नाम से भी जानी जाती हैं। नाम के पीछे जो विशेषण लगा है उससे पता चलता है कि यह नाई परिवार की है। 'कन्नडी कायक का अम्मिदेवय्या' नामक एक वचनकार भी था और इनका संबंध उससे होने की संभावना भी है। 'सद्गुरु संग निरंगलिंग' अंकित में सिर्फ एक वचन मिलता है। उसमें व्रताचरण निष्ठा, प्रसादनीति और गणाचार की कठोरता दिखाई पड़ती है।
References
[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.
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