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किन्नरी ब्रह्मय्या (1160)

पूर्ण नाम: किन्नरी ब्रह्मय्या
वचनांकित : महालिंग त्रिपुरांतक
कायक (काम): सुनार, बांसुरी वादक (Goldsmith, later turned into flute player )

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मलाईदार दूध सोने की थाली में पीना शोभा देगा
उसे छोड़ मिट्टी की थाली में पीना क्या शोभा नहीं देगा?
अपने हाथ की जानेवाली शिवलिंग पूजा में
तन को पवित्र होना चाहिए
वह अपवित्र कैसे होगा त्रिपुरांतक लिंग ? / 1621 [1]

ब्रह्मय्या (बोमय्या) आंध्रप्रदेश के पूदूर (उडूर) गाँव में रहनेवाले सुनार थे। बाद में कल्याण आकर त्रिपुरांतकेश्वर मंदिर के सामने किन्नरी बजाने का कायक करते थे। कल्याण आयी अक्कमहादेवी के वैराग्य को कसौटी पर कसकर देखते हैं। कल्याण क्रांति के संदर्भ में चेन्नबसवण्णा के साथ रहकर, सेना के नायक बने थे। उळवि में लिंगैक्य होते हैं।

तुम अपनी जवानी का, रूप सौंदर्य का चतुर वार्तालाप का
सम्पदा की खुशी का
हाथी, घोड़ा, रथ, पैदल सेना समूह का
पत्नी-पुत्र-बन्धुजन के समूह का,
अपने कुलाभिमान का ।
अहंकार छोड़ दो, भ्रमित न हो
वह तुम रोमज से बड़े हो क्या?
मन्मथ से भी सुंदर हो क्या?
सुरपति से भी सम्पन्न हो क्या?
वामदेव वशिष्ठ से भी बड़े श्रेष्ठकुल के हो क्या?
यमदूत जब आकर हाथ खींचने लगेंगे तब
सुनो मनुष्य, बात करने का अवसर न मिलेगा
मेरे महालिंग त्रिपुरांतक देव की पूजा करोगे तो
अविनाशी पद प्राप्त होगा, हे मूर्ख। / 1622 [1]

इनके ‘महालिंग त्रिपुरांतक' अंकित से रचे हुए 18 वचन मिले हैं। उन वचनों में महादेवीयक्क के साथ संवाद, शिव की महिमा, बसवादि शरणों का वर्णन आदि वर्णित हैं।

झूठ की धार के लिए शरीर ही शिकार बना।
क्या कहूँ, कहूँ क्या इस विधि की क्रिया को
शांति संयम आदि नहीं ठहर सके।
महालिंग त्रिपुरांतक के वे शरण ही,
मेरे स्वामी हैं, इसे नहीं पहचानने से छिप गये।। / 1623 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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