Previous कूगिन मारय्या (1160) कोंडे मंचण्णा की पत्नी लक्ष्मम्मा (1160) Next

कोट्टणद सोमम्मा (1160)

पूर्ण नाम: कोट्टणद सोमम्मा
वचनांकित : निर्लज्जेश्वर
कायक (काम): धान कूटने का कायक (Paddy husking)

*

कोट्टणद सोमम्मा के वचन

ढंग से न कूटोगे तो चावल नहीं कनकी हाथ लगेगी।
व्रतहीनों के संग करने से नरक मिलेगा, मुक्ति नहीं।
अनजाने में हो तो होने दो, मगर, जान बूझकर यदि संग करूँगी
तो तपाये चुरी से कान काटेंगे।
यह जानती हूँ। इसलिए संग न चाहिए
निर्लज्जेश्वर, आप की कसम । / 1308 [1]

धान कूटने का कायक करनेवाली थीं। अर्थात् भक्तों के घर में धान कूटना उससे प्राप्त कमाई के धन से गुरु लिंग जंगम की सेवा करना है। इनका एक ही वचन प्राप्त है। और उनका वचनांकित है निर्लज्जेश्वर । शायद निर्लज्ज शांतेश्वर इसके गुरु रहे होंगे। इनके वचनों का आशय है व्रताचार शुद्धि। उसका अपनी वृत्ति परिभाषा में प्रतिपादन किया है।

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

सूची पर वापस

*
Previous कूगिन मारय्या (1160) कोंडे मंचण्णा की पत्नी लक्ष्मम्मा (1160) Next