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लद्देय सोमय्या (1200)

पूर्ण नाम: लद्देय सोमय्या
वचनांकित : लद्देय सोमय्या

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जो भी कायक हो, अपने योग्य कायक करके
गुरु लिंग जंगम को अर्पितकर
जो बचे उसे स्वीकार करो,
व्याधिग्रस्त हो तो, कराहो, बीमार पड़े तो चीखो
प्राण गए तो मरो, इसके लिए ईश्वर की मुहताज क्यों ?
भले! लद्देय सोमा ! / 2025 [1]

सोमय्या लद्दे ग्राम के थे। बीदर जिला भाल्की तालूक आज का लाधा गाँव रहा होगा। बनवासी मधुकेश्वर देवालय के शिवोत्सव मंड़प की शिला पर जो शरणों के शिल्प हैं उनमें इनकी भी मूर्ति है। अपने नाम को ही इन्होंने अंकित बना ‘लद्देय सोम' रख लिया था। इनका एक ही वचन मिला है जिसमें स्वकायक करके भगवान की भी परवाह न करके धैर्य से जीने की जीवन की वास्तविकता को निष्ठुर शब्दों में सुनाया है।

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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