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मैदुन रामय्या (1160)

पूर्ण नाम: मैदुन रामय्या
वचनांकित : महालिंग चेन्नरामेश्वर

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ओले को जैसे पानी में मिला दे,
नमक के कणों को जैसे पानी में मिला दे,
कपूर के दिए में जैसे ज्योति के प्रकाश को मिला दे,
महालिंग चेन्नरामेश्वर लिंग में मिलकर
द्वन्द्व रहित होकर, विलीन हुआ निजलिंगैक्य है। / 1963 [1]

रामय्या आंध्र प्रदेश के भीमावती नामक गाँव के थे। ये सोमनाथ और महादेवी के पुत्र थे। स्वभाव से मुग्ध थे। इन्होंने कल्याण आकर शरणों के साथ मिलकर अपनी मुग्ध भक्ति से सब को आकर्षित किया। इन्होंने शिव-पार्वती को ही दीदी-बहनोई माना इसलिए ये मैदुन (देवर) रामय्या कहलाये। यह बात काव्यपुराणों में वर्णित हैं। इनका वचनांकित है ‘महालिंग चेन्नराम' छः वचन मिले हैं। सद्गुरु की करुणा, निजलिंगैक्य की स्थिति, मन का स्वभाव, शरणों की स्तुति आदि आत्मीय शैली में निरूपित हैं।

रेत में रस कहाँ ? छाया के लिए रोकटोक कहाँ ?
रणभूमि में तपस्या कैसी ?
स्नेह छूट गया तो मोह को क्यों हूँढे?
हे महालिंग चेन्नराम,
मन टूट गया तो, आँखों के लिए वह जहर ही है। / 1964 [1]

शिवशरणों का आगमन देखकर
सिर नवाकर, हाथ जोड़कर विनीत होना चाहिए।
परन्तु नमस्कार करने नहीं देता यह मन।
उस समय के सद्यः लाभ को न जानने से,
नमस्कार करने नहीं देता यह मन।।
मालिक समझकर भी विश्वास नहीं करने से
महालिंग चेन्नरामेश्वर मेरी ओर देखकर, हँस रहा है। / 1965 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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