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मडिवाळ माचिदेवन समयाचारद मल्लिकार्जुन (1160)

पूर्ण नाम: मडिवाळ माचिदेवन समयाचारद मल्लिकार्जुन
वचनांकित : परम पंचाक्षरमूर्ति शांतमल्लिकार्जुन

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करतल के लिंग को छोड़कर
धरती पर स्थित मूर्ति को नमन करने वाले
नरक के कुत्तों को मैं क्या कहूँ।
परमपंचाक्षरमूर्ति शांतमल्लिकार्जुन। / 1901 [1]

ये मडिवाळ माचिदेव के अनुयायी लगते हैं। इनके ‘परम पंचाक्षरमूर्ति शांतमल्लिकार्जुन' वचनांकित में रचे 5 वचन मिले हैं। सभी वचनों में समयाचार निष्ठा प्रतिपादित हैं। वचनकार इष्टलिंग के रहते स्थावर लिंग पूजकों की तीव्र आलोचना करते हैं।

सती को देखकर हर्षित होकर
पुत्र को देखकर आनंदित होकर
हर्षातिरेक से सुध बुध खोकर
पत्नी पुत्र रूपी सांसारिकता में मति भ्रष्ट हुए
पागलों को क्या कहूँ।
मेरे परमपंचाक्षरमूर्ति शांतमल्लिकार्जुन। / 1902 [1]

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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