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सिद्धांति वीरसंगय्या (1160)

पूर्ण नाम: सिद्धांति वीरसंगय्या
वचनांकित : गोळाकार विश्व विरहित लिंग

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जल से बना मोती,
शांत जल में डालने पर,
वह जल फिर से मोती का जल मिला समझकर,
वह मोती बनता नहीं, वह मोती, पहले जैसा जल नहीं बनता।
यह उभय भेद जाने तो,
द्वैताद्वैत को समझ पाये कहूँगा मैं।
ऐसा न होकर, हार जीत के लिए संघर्ष करनेवाले,
पत्थर हृदयवालों को, कहाँ गोळाकार,
विश्वविरहित, लिंग प्राप्त होगा क्या? / 2101 [1]

ये वीरनिष्ठा के शिवभक्त थे। कई पुराण काव्यों में इस निष्ठा का विवरण मिलता है। ‘गोळाकार विश्व विरहित लिंग' वचनांकित में रचे पाँच वचन मिले हैं। नाम के अनुसार ही सिद्धांत विषय निरूपण ही इन वचनों का मुख्य लक्ष्य है।

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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