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सूळे संकव्वे (1160)

पूर्ण नाम: सूळे संकव्वे
वचनांकित : निर्लज्जेश्वर
कायक (काम): शरणी बनने से पूर्व वेश्या वृत्ति करती थीं

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एक विट को मानकर फिर दूसरे को न मानूँगी
यदि मानें तो
मुझे नंगा करके मारते हैं
ऐसे में व्रतहीनों से जानबूझकर यदि करूँ संग
तो तपी तलवार से हाथ नाक कान काटते हैं।
जानबूझकर ऐसा कभी न करूँगी।
आपकी सौगंध हे निर्लज्जेश्वर। / 1351 [1]

संकव्वे शरणी बनने से पूर्व वेश्या वृत्ति करती थीं। ‘निर्लज्जेश्वर' अंकित में रचा एक मात्र वचन मिला है। अपनी वृत्ति भाषा का उपयोग कर व्रतनिष्ठा के बारे में अभिव्यक्त करने का इनका साहस सराहनीय है।

References

[1] Vachana number in the book "VACHANA" (Edited in Kannada Dr. M. M. Kalaburgi), Hindi Version Translation by: Dr. T. G. Prabhashankar 'Premi' ISBN: 978-93-81457-03-0, 2012, Pub: Basava Samithi, Basava Bhavana Benguluru 560001.

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